Teaching / Mantra's

: इस मंत्र का प्रारंभ शब्द “ॐ” है, जो दिव्य ऊर्जा और विश्वजगत् की चेतना को प्रतिष्ठित करने का प्रतीक है। यह चंद्रवाक्य (अर्धचन्द्र) के रूप में प्रस्तुत होता है।

नमो: “नमो” शब्द से आश्रय और सम्मान का अभिव्यक्ति की जाती है। यह शब्द विनम्रता, समर्पण और विनम्रता की प्रतीक्षा करता है।

नारायणाय: “नारायण” भगवान विष्णु का एक अन्य नाम है। विष्णु या नारायण सृष्टि के संरक्षक, पालक, और सभी विश्व के ईश्वर के रूप में माने जाते हैं। “आय” शब्द उस शक्ति और सामर्थ्य को दर्शाता है जो ईश्वर के रूप में प्रतिष्ठित है।

इस प्रकार, “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का अर्थ है, “मैं नारायण (भगवान विष्णु) को नमस्कार करता हूँ और उनकी प्रतिष्ठा करता हूँ।”

यह मंत्र भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद, और संरक्षण को प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। इसके द्वारा, भक्त ईश्वर की अनुग्रह की प्राप्ति के लिए समर्पित होता है और अपने मन, शरीर, और आत्मा की शुद्धि और समरसता की प्रार्थना करता है।

यह मंत्र संयमित ध्यान और भक्ति के साथ जपा जाता है। इसका नियमित जाप व्यक्ति के मन को शांति, स्थिरता, और आनंद में ले जाने में सहायता कर सकता है और उसे दिव्य आत्मसंयम और आनंद के अनुभव में मदद कर सकता है।

ध्यान रखें कि मंत्रों का जाप संयमितता, श्रद्धा, और समर्पण के साथ किया जाना चाहिए। मंत्रों की गहन अर्थव्यवस्था को समझने के साथ ही, आपको अपने गुरु या संगठन के मार्गदर्शन का भी लाभ उठाना चाहिए।

गायत्री मंत्र एक प्राचीन वेद मंत्र है जो वेदों में सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली मंत्रों में से एक है। यह मंत्र सूर्य देवता को समर्पित है और इसे सावित्री भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र का पाठ सूर्योदय से पहले किया जाता है और यह अनेक धार्मिक संस्कृति में महत्वपूर्ण रूप से आदर्शता को प्राप्त करता है।

गायत्री मंत्र का पाठ इस प्रकार है: ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥

  • ॐ भूर्भुवः स्वः।” (Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ): यहां “ॐ” एक प्रणव मात्रा है जो ईश्वरीय शक्ति और विश्व चेतना को प्रतिष्ठित करती है। “भूर्भुवः स्वः” उच्चारण द्वारा चैतन्य की प्राप्ति की याचना की जाती है।

  • तत्सवितुर्वरेण्यं” (Tat Savitur Vareṇyaṃ): यह भाग देवता सूर्य की स्तुति करता है और उनके श्रेष्ठता को मान्यता देता है।

  • भर्गो देवस्य धीमहि।” (Bhargo Devasya Dheemahi): यह भाग सद्गुणों की प्राप्ति की प्रार्थना करता है। यहां “भर्गो” चमक और तेज को दर्शाता है, जो हमारी आत्मा को प्रकाशित करता है। “देवस्य” देवता के द्वारा चेतना की आपूर्ति की याचना की जाती है और “धीमहि” ध्यान करते हैं या मनन करते हैं।

  • धियो यो नः प्रचोदयात्॥” (Dhiyo Yo Naḥ Prachodayāt): यह अंतिम भाग प्रार्थना करता है कि हमारी बुद्धि को शुद्ध और दिव्य बनाए रखें ताकि हम सत्य की ओर प्रगट हो सकें। इसका अर्थ है कि हमारे मन, बुद्धि और अन्तःकरण को प्रेरित करें और हमें सत्य की ओर दिशा दें।

गायत्री मंत्र को प्रतिदिन नियमित रूप से जाप करने से श्रद्धा, ज्ञान, तेज, स्वास्थ्य और ध्यान की वृद्धि होती है। यह मंत्र सत्य के प्रकाशन, विवेक, सत्यनिष्ठा, दृढ़ इच्छाशक्ति, तपस्या और आध्यात्मिक विकास की प्रेरणा प्रदान करता है।

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

त्र्यम्बकं: यहां त्र्यम्बकं शब्द में तीन आँखों वाले भगवान शिव की संकेतिक रूप हैं। इस शब्द के द्वारा भगवान शिव के नाम का उल्लेख किया जाता है।

यजामहे: यजामहे शब्द में हम भगवान को यज्ञ के रूप में पूजते हैं। हम उनकी आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

सुगन्धिं: सुगन्धिं शब्द में अर्थात् अत्यंत सुगंधित या सुंदर रूप से बन्धित हुआ। इससे यह संकेतित किया जाता है कि भगवान की आराधना करते समय हम अपनी मनोहारी भावनाओं को संगठित करके करें।

पुष्टिवर्धनम्: पुष्टिवर्धनम् शब्द में पुष्टि और वर्धन का संयोजन है। इससे यह संकेतित किया जाता है कि भगवान शिव हमें आरोग्य और संपन्नता की प्राप्ति में सहायता करें।

उर्वारुकमिव: उर्वारुकमिव शब्द तक़लीफ़ाना और पीड़ामयी वस्त्रालय का संकेत करता है। इससे यह संकेतित किया जाता है कि भगवान की कृपा से हम भवसागर से मुक्त हों और संसार के बंधनों से छूटें।

बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय: बन्धनान् शब्द संसारिक बंधन या मृत्यु का संकेत है, और मृत्योः शब्द मृत्यु का संकेत है। इससे यह संकेतित किया जाता है कि भगवान की कृपा से हम मृत्यु से मुक्त हों और अमरता की प्राप्ति करें।

मामृतात्: मामृतात् शब्द मेरे लिए अमरता का संकेत है। इससे यह संकेतित किया जाता है कि हम भगवान की कृपा से अमरता की प्राप्ति करें और चरम मोक्ष को प्राप्त करें।
इस मन्त्र का जाप करने से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षित रहता है, और मृत्यु के बंधन से मुक्ति प्राप्त करता है। यह मन्त्र जीवन की ऊर्जा को प्रवाहित करता है और अद्यात्मिक विकास को संभव बनाता है।

DURGA MANTRA, “ॐ दुर्गायै नमः” (Om Durgāyai Namaḥ), is a powerful Sanskrit mantra dedicated to the Hindu goddess Durga. Here’s a detailed explanation of the mantra in Hindi:

: इस मंत्र में “ॐ” (Om) एक पवित्र ध्वनि है जो दिव्य ऊर्जा और विश्व संवेदनशीलता का प्रतीक है। यह विश्वास के एक बिंदु के रूप में उपयोग किया जाता है।

दुर्गायै: “दुर्गायै” शब्द देवी दुर्गा के संबंध में है, जिन्हें हिंदू धर्म में शक्ति की प्रतिष्ठा के रूप में पूजा जाता है। इस मंत्र में दुर्गा देवी के प्रति आदर्श, श्रद्धा और भक्ति का व्यक्तिगत नाम शामिल है।

नमः: “नमः” शब्द श्रद्धा और समर्पण का अभिव्यक्ति है, जिसे हमें देवी की प्राप्ति के लिए दिखाना चाहिए। इसका अर्थ होता है कि हम दुर्गा देवी को समर्पित होकर उनका आदर्श अनुसरण करना चाहते हैं।

जब आप “ॐ दुर्गायै नमः” (Om Durgāyai Namaḥ) मंत्र का जाप करते हैं, तो आप दुर्गा देवी के प्रति आदर्श, शक्ति और सामर्थ्य को आह्वान करते हैं। इस मंत्र का जाप दुर्गा देवी के कृपा, सुरक्षा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक मार्ग है।

इस मंत्र को नियमित रूप से जाप करने से दुर्गा देवी मानसिक शक्ति, सामरिक बल और स्वयं विजय की अनुभूति में मदद करती हैं। यह मंत्र भय, कष्ट, और आध्यात्मिक अवस्था में संकट से रक्षा करने का प्रयास करता है। इसका जाप शांति, सुरक्षा, एवं समृद्धि के लिए भी किया जाता है।

ध्यान रखें कि जब भी आप मंत्रों का जाप करते हैं, विशेष रूप से संकेतिक या धार्मिक मंत्रों का जाप करते हैं, आपको विशेष ध्यान और समर्पण के साथ उनका उच्चारण करना चाहिए। इससे मंत्र की शक्ति और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी।

SARASWATI MANTRA, “ॐ ऐं नमः सरस्वत्यै” (Om Aim Namah Sarasvatyai), is a sacred mantra dedicated to the Hindu goddess Saraswati. Here’s a detailed explanation of the mantra in Hindi:

  • ” (Om): यह एक पवित्र ध्वनि है जो ईश्वरीय ऊर्जा और सार्वभौमिक चैतन्य को प्रतिष्ठित करती है। इसे विशेष आधार के रूप में हिंदू मंत्रों में प्रयोग किया जाता है।

  • ऐं” (Aim): यह सरस्वती देवी की स्त्रीलिंग रूप है और इसका उपयोग उसकी ध्यान और पूजा में किया जाता है। यह ब्रह्मा की पत्नी और ज्ञान, कला, विद्या, संगीत, कविता, शास्त्रीय संगीत आदि के स्वरूप को प्रतिष्ठित करने वाली देवी को संकेत करता है।

  • नमः” (Namah): यह शब्द नमस्ते, अभिवादन और सम्मान का अर्थ होता है। इसका उपयोग ईश्वरीय शक्ति और आदर्शों की प्रशंसा करने के लिए किया जाता है।

“ॐ ऐं नमः सरस्वत्यै” (Om Aim Namah Sarasvatyai) मंत्र के द्वारा हम सरस्वती देवी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद को आमंत्रित करते हैं। यह मंत्र संगीत, कला, ज्ञान, विद्या और ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करने में सहायता करने के लिए जाना जाता है। इसका जाप करने से आध्यात्मिक साधनाओं में वृद्धि होती है और ज्ञान, बुद्धि, संगीत और कला के क्षेत्र में समृद्धि प्राप्त होती है।

इस मंत्र का जाप नियमित रूप से किया जाता है, जो आपको ऊर्जा, ज्ञान, संगीत, कला, और विद्या में समृद्धि प्रदान करता है। सरस्वती मंत्र का जाप करने से आपकी बुद्धि तेजी से विकसित होती है और आप ज्ञान और सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

ध्यान दें कि मंत्रों का जाप सही ढंग से और आदर्श मनोवृत्ति के साथ किया जाना चाहिए। इसलिए, इन मंत्रों को आप अपने गुरु के मार्गदर्शन में जाप करें और अपनी साधना में सतत प्रयास करें।

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥

मां लक्ष्मी के इस मंत्र में “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” कहा जाता है। यह मंत्र आदि शक्ति माता लक्ष्मी को समर्पित है जो धन, समृद्धि, सौभाग्य, श्रेष्ठता और सुख-शांति की देवी मानी जाती है। इस मंत्र का जाप करने से इस्पेशली वित्तीय समृद्धि, धन, धान्य, व्यापारिक सफलता और सुख की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है।

इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान और विश्राम के साथ करना चाहिए। आप इस मंत्र को लगभग १०८ बार या अपनी समय और साधना के अनुसार जाप कर सकते हैं। इस मंत्र को जाप करने से पहले, अपने मन में मां लक्ष्मी की आराधना करें और उनसे धन, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति के लिए अनुरोध करें।

यह मंत्र सत्य, आदर्श विचारों, कर्मों में ईमानदारी और सेवाभाव को प्रोत्साहित करता है। इसका जाप करने से हमारे चित्त को शुद्धि और शांति मिलती है और हमें धर्मिकता, सामर्थ्य और उदारता के गुणों की प्राप्ति होती है।

इस मंत्र के जाप के माध्यम से, हम आध्यात्मिक और सामाजिक सुख, संपत्ति की आपूर्ति, श्री, सौभाग्य, विवाहिक और पारिवारिक सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी की कृपा को आमंत्रित करते हैं। इस मंत्र का नियमित जाप श्रद्धा, निष्ठा और पूर्व-नियोजित जीवनशैली के साथ किया जाना चाहिए।

सुनिश्चित रूप से, “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र न केवल मां लक्ष्मी की कृपा को आमंत्रित करता है, बल्कि हमें आत्मिक सुधार, सामर्थ्य, धैर्य, सहनशीलता, विचारशक्ति, समर्पण और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

Hanuman Mantra is a powerful chant dedicated to Lord Hanuman, the embodiment of strength, devotion, and courage. The mantra is as follows:

ॐ हनुमते नमः॥

(Om Hanumate Namah)

यह हनुमान मंत्र भक्ति, शक्ति और साहस के प्रतीक भगवान हनुमान को समर्पित है। इस मंत्र का अर्थ है, “हे हनुमान, मैं तुम्हारे नाम से प्रणाम करता हूँ।”

यह मंत्र चंद्रवाक्य मात्रा में है और उसका जाप करने से हम भगवान हनुमान के कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। इस मंत्र को ध्यान और निष्ठा के साथ जपने से मानसिक शक्ति और निरंतरता में सुधार होता है।

हनुमान मंत्र का जाप शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है जो भगवान हनुमान की कृपा और संरक्षण को प्राप्त करने में सहायता करता है। इस मंत्र के द्वारा हम भगवान हनुमान की कृपा और रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

हनुमान मंत्र का जाप करने से हमारे मन में स्थायित्व, साहस, और वीरता की भावना जाग्रत होती है। यह मंत्र हमें नेगेटिविटी से मुक्ति दिलाकर सकारात्मकता और आत्मविश्वास को प्रबलित करता है।

ध्यान और श्रद्धा के साथ हनुमान मंत्र का जाप करने से हमें विचारशक्ति, ब्रह्मचर्य, धैर्य और शक्ति की प्राप्ति होती है। यह मंत्र हमें संयमित और उदार व्यक्तित्व की प्राप्ति में मदद करता है।

यदि हम नियमित रूप से हनुमान मंत्र का जाप करते हैं तो हमें स्वास्थ्य, धन, और संतुलित जीवन की प्राप्ति होती है। यह मंत्र हमारी आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है और हमें शुभ फल प्रदान करता है।

इसलिए, हनुमान मंत्र का जाप भगवान हनुमान के समृद्ध, सुरक्षित और प्रभावशाली कृपा को प्राप्त करने का अच्छा तरीका है। यह मंत्र आपको भगवान हनुमान की कृपा से सशक्त और समर्थ बनाने में सहायता कर सकता है।

Krishna Mantra, “ॐ कृष्णाय नमः” (Om Kṛṣṇāya Namaḥ), is a powerful invocation dedicated to Lord Krishna, who is revered as the divine incarnation of Lord Vishnu. Here is a detailed explanation of the Krishna Mantra in Hindi:

(Om): इस मन्त्र का आरंभ शुद्ध और पवित्र शब्द “ॐ” से होता है। “ॐ” एक पवित्र ध्वनि है, जो पूर्णता, ब्रह्मा, विश्व और प्रकृति को प्रतिष्ठित करती है। इसका उच्चारण मन को शांत करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए मदद करता है।

कृष्णाय (Kṛṣṇāya): इस मन्त्र में “कृष्णाय” शब्द का उपयोग हुआ है, जो भगवान कृष्ण के नाम को दर्शाता है। कृष्ण देवता विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं। वे प्रेम, आनंद, भक्ति, और सामर्थ्य के प्रतीक हैं।

नमः (Namaḥ): “नमः” शब्द नमस्कार, समर्पण, और आदर्शता को दर्शाता है। यह मन्त्र का समर्पण और आदर्शता के रूप में उपयोग होता है।

इस मन्त्र को जपते समय, आप भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद की इच्छा से उनके चरणों में समर्पित होते हैं। यह मन्त्र आपके मन को शांत कर, आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करने, प्रेम और भक्ति का विकास करने में मदद करता है। भगवान कृष्ण के नाम का जाप करने से आपकी मनोदशा में स्थिरता, आनंद और शांति का अनुभव हो सकता है।

मन्त्रों के जप के दौरान, यह अच्छा होता है कि आप शांत और प्राथमिकता से बैठें, अपने आत्म-साक्षात्कार के लिए तैयार हों, और ध्यान और संकेत का पालन करें।

समस्त मन्त्रों की तरह, इस मन्त्र का जप भावनात्मकता, ध्यान, और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए। आप इस मन्त्र को ध्यान से जप सकते हैं और यह जाप अपनी आध्यात्मिक साधना में आपकी मदद कर सकता है।

ध्यान रखें कि यह मन्त्र भगवान कृष्ण के नाम को याद करने और उनकी महिमा को गान करने का एक उपाय है, और इसका उच्चारण आपके आंतरिक अनुभवों और आध्यात्मिक साधना में सहायता कर सकता है।

Shiva Mantra, “ॐ नमः शिवाय” (Om Namah Shivaya), is a powerful and widely chanted mantra dedicated to Lord Shiva. Here’s a detailed explanation of the mantra in Hindi:

: यह शब्द सबसे प्राचीन और पवित्र माना जाता है। यह दिव्य ऊर्जा और ब्रह्माण्डिक संयम को प्रतिष्ठित करने वाला है। यह सबसे महत्त्वपूर्ण ध्वनि है, जो सृष्टि की आदि को प्रतिष्ठित करती है।

नमः: इस शब्द का अर्थ है “नमन” या “नमस्कार”। इसे शिव के सम्मान में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग करके हम शिव के सामर्थ्य, कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने की कामना करते हैं।

शिवाय: यह शब्द शिव को संदर्भित करता है, जिसे देवता के रूप में मान्यता है। यह मन्त्र शिव की पूजा और अराधना के लिए प्रयोग किया जाता है। इस मन्त्र का जाप करने से हम शिव की कृपा, सद्भावना, और मोक्ष की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।

इस मन्त्र को जपने के लिए आपको एक स्थिर और ध्यानित मन के साथ बैठना चाहिए। यह मन्त्र शिव के प्रतीक माना जाता है और इसका जाप करने से हमारे अंतरंग मन को शांति और स्थिरता मिलती है। यह मन्त्र स्वयं आत्मा के साथी और शिवत्व के अनुभव को प्रगट करने का माध्यम है।

शिव मंत्र के जाप से हम अपनी आत्मा के प्रकाश को जागृत करते हैं, अज्ञानता और अविवेक को दूर करते हैं, संतोष, संतुलन और शांति को प्राप्त करते हैं, और आत्मिक विकास के मार्ग में आगे बढ़ते हैं। यह मन्त्र शिवतत्त्व के आनन्द को प्राप्त करने और आत्म-उन्नति के पथ में हमें प्रेरित करने में सहायता करता है।

इस मन्त्र का नियमित जाप शिव के सामर्थ्य, करुणा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है। यह हमें मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाता है और हमें शिव की अनुभूति और प्रेम में ले जाता है।

Radha Mantra, “ॐ राधायै नमः” (Om Rādhāyai Namaḥ), is a sacred chant dedicated to the divine feminine energy of Radha, the beloved consort of Lord Krishna. Here is a detailed explanation of the Radha Mantra in Hindi:

  • ” (Om): यह एक पवित्र ध्वनि है जो ईश्वरीय ऊर्जा और सार्वभौमिक चेतना को प्रतिष्ठित करती है। यह हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और विभिन्न मंत्रों की शुरुआत के रूप में इस्तेमाल होता है।

  • राधायै” (Rādhāyai): इस शब्द का अर्थ होता है “राधा को”। यह मंत्र भगवान कृष्ण की प्रिय पत्नी और दिव्य संयोगिनी राधा की प्रार्थना और सम्मान का अभिनंदन करता है।

  • नमः” (Namaḥ): इसका अर्थ होता है “नमन करता हूँ” या “मेरा नमस्कार है”। यह भक्ति और समर्पण का अभिव्यक्ति है जिससे यह सूचित होता है कि चाहे व्यक्ति कितना भी छोटा हो, वह दिव्यता के सामर्थ्य को स्वीकार करता है और ईश्वरीय ऊर्जा को आदर्श मानता है।

“ॐ राधायै नमः” (Om Rādhāyai Namaḥ) मंत्र का उच्चारण करने से, आप राधा देवी की कृपा और आशीर्वाद को आह्वानित कर रहे होते हैं। यह मंत्र राधा की प्रेम और भक्ति के ऊर्जावान विभावना को स्थापित करता है और आपको उसके आपूर्ति से जोड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इस मंत्र का जाप करने से आप राधा देवी के साथ अनुभव करते हैं, उनके दिव्य प्रेम के संगीत में लीन होते हैं और आपके चित्त को आनंद, शांति और प्रेम से भर देते हैं।

यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं, तो यह आपको राधा देवी की कृपा, प्रेम और सम्बन्ध के साथ एक ऊँचा स्थान प्रदान कर सकता है और आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायता कर सकता है। इस मंत्र को नियमित ध्यान और जप के साथ जीवन के सभी क्षेत्रों में राधा देवी के प्रेम, सौंदर्य, और सामर्थ्य को अपनाने में मदद मिलती है।

Ganesha Mantra is: ॐ गं गणपतये नमः॥ (Om Gaṃ Gaṇapataye Namaḥ)

  • ” (Om): It is a sacred syllable representing the divine energy and universal consciousness. It is often used as a starting point for various Hindu mantras and signifies the presence of the divine.

  • गं” (Gaṃ): This is the seed sound or bija mantra associated with Lord Ganesha. It represents Lord Ganesha himself and his unique energy. Chanting “गं” helps invoke his presence and blessings.

  • गणपतये” (Gaṇapataye): This word is derived from the Sanskrit words “गण” (Gaṇa) meaning a group or multitude, and “पतये” (pataye) meaning the Lord or master. Together, “गणपतये” refers to Lord Ganesha, who is known as the leader or master of all divine beings.

  • नमः” (Namaḥ): It means “I bow down to” or “I offer my salutations to.” It is an expression of reverence, respect, and surrender. Chanting “नमः” signifies offering our respects to Lord Ganesha and seeking his blessings.

When you chant the Ganesha Mantra, you are invoking the divine energy of Lord Ganesha. Lord Ganesha is known as the remover of obstacles and the giver of wisdom, success, and prosperity. By chanting this mantra with devotion and sincerity, you seek his blessings to overcome obstacles in your life, attain wisdom, and experience overall auspiciousness.

The mantra can be chanted in a rhythmic manner, either mentally or aloud, while focusing on the sound and the intention behind it. It is often chanted before beginning any new endeavor, during worship, or as a daily practice to seek the blessings and guidance of Lord Ganesha.

Vishnu Mantra “ॐ नमो नारायणाय” (Om Namo Nārāyaṇāya) is a powerful Sanskrit chant dedicated to Lord Vishnu, who is considered the preserver and sustainer of the universe. Here’s a detailed explanation of the mantra in Hindi:

  • ” (Om): It is a sacred syllable representing the ultimate reality, the divine energy, and the cosmic sound of creation. It is considered the primordial sound from which the entire universe originated.
  • नमो” (Namo): It means “I bow down to” or “I offer my salutations to.” It is an expression of reverence, respect, and surrender to the divine.
  • नारायणाय” (Nārāyaṇāya): This refers to Lord Vishnu, who is regarded as the supreme deity in Hinduism and is known for his role as the preserver and protector of the universe. Lord Vishnu is believed to be the embodiment of love, compassion, and divine grace.

When you chant “ॐ नमो नारायणाय” (Om Namo Nārāyaṇāya), you are offering your heartfelt salutations and surrendering to the divine energy of Lord Vishnu. The mantra is believed to invoke his divine presence and seek his blessings, protection, and grace.

Chanting this mantra with devotion and focus can help purify the mind, cultivate a sense of peace and harmony, and deepen one’s connection with Lord Vishnu. It is a way to express devotion, seek spiritual upliftment, and experience the divine presence in one’s life.

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